Kisan News: हम सभी जानते है की दलहनी फसलों मे मसूर एक बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध नाम है, कब्ज और अनियमित पाचन जैसे क्रिया मे मसूर दाल का एक बहुत ही लाभकारी और बड़ा योगदान रहता है। हम आपको बता दे की इस मसूर दाल का इस्तेमाल खाने के अलावा कई तरह के नमकीन और मिठाई बनाने के लिए भी किया जाता है। भारत मे धान के फसल के कटाई के बाद खाली खेत मे मसूर दाल की बुआई की जाती है। हम आपको बता दे की किसान मसूर दाल की खेती करके बहुत ही अच्छा मुनाफा कमा लेते है।
जैसे की हम सभी जानते है की भारत में दलहन का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। इसकी वजह है कि दलहन की खेती से किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है। दलहन की खेती में सबसे ज्यादा मुनाफा मसूर की खेती से होता है। मसूर की उन्नत किस्मों की खेती करके किसान अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
आज के इस आर्टिकल Kisan News मे हम आपको मसूर दाल के कुछ उन्नत किसमे के फसलों के बारे विस्तार पूर्वक बताने वाले है जिसे जानकार आप इस बार धान के खेती के कटाई के बाद मसूर दाल के खेती करके एक अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
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इस दाल के खेती से किसान होंगे मालामाल, जानिए इस उन्नत किस्म के दाल के बारे मे
आज के इस आर्टिकल मे हम देश के सभी किसानों को बहुत बहुत हार्दिक स्वागत करते है। आज हम आपको इस लेख के जरिए दाल के उन्नत किस्म के बारे मे बताएंगे जिसकी खेती आपको एक अच्छा फायदा देगा। हम आपको बता दे की अब खेत मे धान के कटाई हो रही है धान के कटाई के बाद अब दलहन फसलों का सीजन आ गया है आप इस उन्नत किस्म के दाल के फसल की बुआई करके एक अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
अगर आप भी दाल के खेती की करके एक अच्छा मुनाफा कमाना चाहते है तो आप इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें और इस आर्टिकल मे बताए गए इस उन्नत किस्म के दाल के बारे मे पूरी जानकारी को प्राप्त करके आप इसकी खेती कर सकते है, और लाभ कमा सकते है।
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उन्नत किस्म के मसूर दाल के लिए मिट्टी और बुआई का समय
- हम आपको बता दे की दोमट से भारी मिट्टी इस दाल के खेती के लिए अधिक उत्तम है।
- इस दाल की बुआई अगर आप समय से करना चाहते है तो आप अक्टूबर के मध्य से नवंबर के मध्य तक कर सकते है।
- और अगर आप इसकी बुआई देर की दशा में करते है तो दिसंबर के पहले हफ्ते तक इस दाल की बुवाई करना आपके लिए बेहतर समय रहेगा।
- हम आपको बता दे की जीरो टिल सीड ड्रिल द्वारा मसूर की बुवाई ज्यादा फायदेमंद है।
उन्नत किस्म के मसूर
अगर आप मसूर के खेती करना चाहते है तो आपको इसके उन्नत किस्म के मसूर की खेती करना चाहिए, हम आपको नीचे कुछ उन्नत किस्म के मसूर के बारे मे बात रहे है-
- IPL-81
- Narendra Masoor-1
- DPL-62
- Pant Masoor-5
- Pant Masoor-4
- DPL-15
- L-4076
- Pusa Vaibhav
- K-75
- HUL-57 (Malaviya Vishwanath)
- KLS-218
- IPL-406
- Shekhar-3
- Shekhar-2 and
- IPL .-316
बीज रोपण
- आगर आप इस दाल की बुआई समय से से कर रहे है तो आप 30-40 किलोग्राम और अगर आप इसकी बुआई पिछेती व उत्तेरा बुवाई कर रहे है तो आप 40-50 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर का उपयोग करेंगे।
- 10 किलोग्राम बीज को मसूर के एक पैकेट 200 ग्राम राइजोबियम लेग्यूमिनोसेरम कल्चर से मिलाकर इसकी बुआई करना है। खासकर उन खेतों में ऐसा करें जिनमें पहले मसूर न बोई गई हो।
- बीजोपचार व रासायनिक उपचार के बाद बीजोपचार किया जाना चाहिए इसके लिए आप पी. एस. बी. का इस्तेमाल कर सकते है।
मसूर के खेती मे सिंचाई और खाद
- आपको इस मसूर के खेती मे पहली सिंचाई, फूल आने के पहले करनी है। अगर आप धान के खेतों मसूर की बुआई कर रहे है तो आप उसके बाद आपको इसमे दूसरा सिंचाई मसूर के फली बनने के समय करनी चाहिए।
- अगर आप समान्य बुआई करते है तो आप 20 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फास्फोरस, 20 किग्रा पोटाश और 20 किग्रा गंधक प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल कर सकते है। अगर उतेरा विधि से बुआई कर रहे है तो आप इसमे 20 किग्रा नाइट्रोजन धान की कटाई के बाद टापड्रेसिंग करे और फास्फोरस 30 किग्रा को इसके खेती मे दो बार, एक बार फूल आने और और दूसरा फलिया बनते समय इसके पत्तियों पर छिड़काव करें।
फसल की सुरक्षा है जरूरी
- माहू कीट– ये कीट इस फसल के पत्तियों, तनों व फलियों का रस चूस कर इसे कमजोर कर देते है।
- सेमीलूपर– यह किट लूप बनाकर चलती है और इसकी सूडियां हरे रंग की होती है जो की सूडियां से यह फसल के पत्तियों, कोमल टहनियों, कलियों, फूलों व फलियों को खाकर नुकसान पहुंचाते है।
- फली बेधक कीट– इस कीट की सूड़ियं मसूर के फसल के फलियों में छेद बनाकर इसके अंदर घुस जाते है और इस फसल के अदंर-अदंर से इसको खाती रहती है। इसके कारण फलियाँ कमजोर हो जाती है। और इसके उत्पादन मे गिरावट आती है।
सुरक्षित भंडारण है जरूरी
आपके द्वारा लगाए गए मसूर के फसल को पूरा पकने पर ही इसकी कटाई करें। और इसकी मड़ाई के के बाद इस फसल को भंडारण में कीटों से सुरक्षा के लिए अल्यूमिनियम फास्फाइड की 2 गोली प्रति मीट्रिक टन की दर से इस्तेमाल कर सकते है ताकि कीटों से मसूर के फल को नुकसान नहीं पहुंचे।
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल मे हम आपको Kisan News के तहत मसूर के उन्नत प्रकार के खेती के बारे मे पूरी जानकारी विस्तार पूर्वक बताए है जिसको फॉलो करके आप अभी दलहानी सीजन मे इसकी बुआई करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
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