Dr. APJ Abdul Kalam Biography in Hindi |
APJ Abdul Kalam Biography in Hindi – विश्व के हर बच्चे के लिए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक प्रेरणा है। अब्दुल कलाम जी एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे इसके बावजूद उन्होंने अपने मेहनत के दम पर कामयाबी का हर वह मुकाम हासिल किया जिसे एक नवयुवक सोच सकता है। इस वजह से सभी को APJ Abdul Kalam Biography in Hindi पढ़नी चाहिए। आपको बता दें की APJ Abdul Kalam का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम है। इनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जैनुलाब्दीन कलाम के घर में हुआ था।
जब अब्दुल कलाम जी 60 बरस के हो गए तब उन्होंने अपने जीवन के सभी तजुर्बे, मुशायदे, और कामयाबी को कलमबध करने का विचार किया, ताकि कोई भी बच्चा जब अपनी तकलीफों और मजबूरियों से परेशान हो तब वह इसे पढ़ें और उसे अपनी परेशानियों के आगे एक उम्मीद नजर आ सके। अपने इस APJ Abdul Kalam Biography की किताब नाम उन्होंने Wings of Fire रखा।आज इस लेख में हम आपको APJ Abdul Kalam Biography in Hindi, Abdul Kalam Books, Abdul Kalam Awards, और उनके जीवन से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियों के बारे में भी बताएंगे।
Dr. APJ Abdul Kalam Biography – Overview
Name | Dr. APJ Abdul Kalam |
Nick Name | The Missile Man of India |
Father’s Name | जैनुलाब्दीन कलाम |
Mother’s Name | आशीअम्मा |
Religion | Muslim |
Date of Birth | 15 अक्टूबर 1931 |
Date of Death | 27 जुलाई 2015 |
Wife | शादी नही की |
Birth Place | मस्जिद स्ट्रीट, धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिल नाडु |
Country | भारत |
राष्ट्रपति कार्यकाल | 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 |
कार्य | इंजीनियर, वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर, राजनेता |
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APJ Abdul Kalam Biography in Hindi
भारत की परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में अतुलनीय काम करने के कारण हम डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन ऑफ इंडिया के नाम से जानते है। परमाणु हथियार के कार्य से जुड़े रहने और अपना संपूर्ण योगदान देने के कारण डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न दिया गया है।
एपीजे अब्दुल कलाम जी की वजह से भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो पाया जिनका खुद का सेटेलाइट है। इसके अलावा अग्नि जैसी अनेकों मिसाइल से भारत की ताकत का बोलबाला पूरे विश्व में हुआ है। आज एपीजे अब्दुल कलाम जी की वजह से भारत एक परमाणु हथियार संपन्न देश बन पाया है इसके अलावा बैलिस्टिक मिसाइल की सुविधा रखने वाला देश भारत बन पाया है। इन सभी कामयाबी यों के साथ-साथ वह भारत के एक सफल राष्ट्रपति भी रह चुके है। अपनी इन सभी कामयाबीयों के बारे में अब्दुल कलाम जी ने अपनी पुस्तक में भी लिखा है।
एपीजे अब्दुल कलाम का प्रारंभिक जीवन
एपीजे अब्दुल कलाम जी का पूरा नाम डॉ अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम है। उनका जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम गांव में 15 अक्टूबर 1931 को जैनुलाब्दीन कलाम के परिवार में हुआ था। उनके पिता अलग-अलग प्रकार का कार्य करते थे, उनका सबसे सफल कार्य यात्रियों को नाव से एक तट से दूसरे तट पर ले जाने का रहा था। इसके अलावा उनकी माता आशीअम्मा एक साधारण गृहणी थी।
कलाम जी बताते हैं कि उनके पिता ने दुनियावी मामलों में कुछ हासिल नहीं किया। उनके पिता के पास न दौलत थी और न ही तालीम, मगर वे विचारों के बहुत धनी थे। गांव के कुछ लोगों के साथ मिलकर बड़े से बड़े रूहानी मसलों को तमिल की आम जबां में हल कर दिया करते थे। कलाम जी बताते हैं कि उन्होंने सदैव अपने सफल साइंसतान बनने के सफर में अपने पिता के उसूलों पर चलने का प्रयास किया है।
“उनके पिता उनसे कहा करते थे कि जीवन में जब मुसीबत आए तो मुसीबत को समझने का प्रयास करो हर मुसीबत अपने जड़ को समझने का एक मौका देती है“।
एपीजे अब्दुल कलाम का परिवार | APJ Abdul Kalam Family
अब्दुल कलाम जी का खानदानी सिलसिला उनके परदादा अवुल कलाम से शुरू हुआ था, उसके बाद उनके दादा पकीर कलाम और उसके बाद उनके पिता जैनुलाब्दीन कलाम फिर यह खानदानी सिलसिला अब्दुल कलाम पर समाप्त हो गया।
अब्दुल कलाम जी के परिवार में उनके पिता जैनुलाब्दीन कलाम के साथ उनकी मददगार जीवनसाथी आशीअम्मा थी। उनके दो बड़े भाई और एक बड़ी बहन थी, अब्दुल कलाम जी परिवार के सबसे छोटे बेटे थे।
तमिलनाडु में रामेश्वरम की मस्जिद स्ट्रीट में उनका मकान था। उस जमाने के हिसाब से काफी पक्का और अच्छा मकान था। उनके पिता एक नाव के जरिए दूर-दूर से आए पर्यटकों को धनुष्कोड़ी से रामेश्वरम तक ले जाने और ले आने का कार्य करते थे। जब अब्दुल कलाम जी की पढ़ने की उम्र हुई तो घर की कमाई इतनी नहीं थी कि उनकी पढ़ाई का खर्च उठाया जा सके। इस वजह से उन्हें 10 वर्ष की छोटी आयु में काम करने उतरना पड़ा।
अब्दुल कलाम जी का बचपन
अब्दुल कलाम जी अपनी ऑटो बायोग्राफी (Wings of Fire) में बताते हैं कि उनका बचपन मातदी तौर पर (Materialistically) और जज्बाती तौर पर (Emotionally) काफी महफूज था। वे बताते है, कि उन्होंने अपने पिता से self-discipline विरासत में सीखी है और उनकी माता से खुद पर विश्वास रखना और सच्चाई के रास्ते पर चलना सीखा है।
अब्दुल कलाम जी महज 10 वर्ष के थे जब उन्हें पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए कमाना पड़ा। उस वक्त वे नहीं जानते थे कि किस काम के लिए कितना पैसा मिलता है और किसी काम को कैसे ढूंढा जाता है। यह वक्त दूसरे आलमगीर युद्ध (2nd World War) का था।
ट्रेन को जल्दी स्थान पर पहुंचाने के लिए रामेश्वरम में उसका stoppage बंद कर दिया गया। इस वजह से अखबारों का गठरा चलती हुई ट्रेन से फेंक दिया जाता था। उनका एक दोस्त जो अखबार बेचने का कार्य करता था। उसे, ना चाहते हुए भी कलाम जी को दौड़ दौड़ कर अखबार बटोरने के कार्य पर रखना पड़ा। और यही उनकी कमाई का पहला जरिया बना। इसके बाद 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के लिए उन्होंने अलग-अलग स्थान पर अलग-अलग प्रकार के कार्य किए।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के कामयाबी का कारण | APJ Abdul Kalam Secret of Success
APJ Abdul Kalam बताते हैं कि जब वे 10 वर्ष के थे और कक्षा पांचवी में पढ़ रहे थे तब उनके एक शिक्षक शिवसुब्रमण्यम अय्यर जी ने पढ़ाया था कि चिड़िया कैसे उड़ती है। उनके पढ़ाने के तरीके ने कलाम जी के मन में उड़ने की एक प्रज्वलित इच्छा को जन्म दिया। उस दिन के बाद कलाम जी जब भी किसी चिड़िया को आकाश में उड़ते देखते तो वो हमेशा खुद आकाश में उड़ने की ख्वाहिश जाहिर करते थे।
इसके बाद उन्होंने स्वयं को आकाश में उड़ते देखने के लिए एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। मगर दुर्भाग्यवश उनका सिलेक्शन एयरफोर्स (IAF) में नहीं हो सका। इसके वर्षों बाद एक मिसाइल टेस्टिंग के दौरान उन्होंने एक जेट प्लेन को उड़ाने की ख्वाहिश जाहिर की। उस वक्त उनकी आकाश में उड़ने की इच्छा पूर्ण हुई और वे रामेश्वरम से हवाई जहाज में बैठने वाले पहले इंसान बने।
“कलाम जी कहते हैं कि अगर आपकी इच्छा सच्चे दिल से निकली हो तो जाने अनजाने में कायनात आपके उस इच्छा को पूरा कर देती है”
डॉक्टर अब्दुल कलाम जी की शिक्षा | Dr. APJ Abdul Kalam Education
Dr. APJ Abdul Kalam जी की प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम से हुई है। मगर कक्षा पांचवी के बाद उन्होंने Schwartz Higher Secondary School रामानाथपुरम, तमिलनाडु में दाखिला करवाया। उस स्कूल में शिक्षक अयादुरै सोलोमन, शिक्षक शिवसुब्रमण्यम अय्यर ने उन्हें काफी मुदाशिर किया। इस स्कूल से उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई पूरी की और आगे की पढ़ाई के लिए पास के शहर तिरुचिरापल्ली चले गए।
उस वक्त अब्दुल कलाम जी नहीं जानते थे कि आकाश में उड़ने की इच्छा को पूरा करने के लिए कौन सी पढ़ाई करनी चाहिए। इसलिए आगे पढ़ाई जारी रखते हुए उन्होंने बीएससी में एडमिशन करवाया। सन 1954 में तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से B.Sc की डिग्री पूरी करने के बाद उन्होंने जाना की Aeronautical Engineering उनके देरीना ख्वाब पूरे करने में मदद कर सकता है इसलिए उन्होंने IIT Madras में अपना दाखिला करवाया।
अब्दुल कलाम जी ने अपनी पूरी पढ़ाई स्कॉलरशिप से की है। एक बार स्नातक की पढ़ाई के दौरान उन्हें एक रॉकेट का मॉडल बनाने का कार्य दिया गया था। यह मॉडल बनाने का कार्य कॉलेज को ऊपर से दिया गया था और प्रोजेक्ट इंचार्ज ने अब्दुल कलाम जी को हिदायत दी थी कि अगर 3 दिन के अंदर यह Rocket Model तैयार नहीं हुआ तो उनकी स्कॉलरशिप रद्द कर दी जाएगी।
इसके बाद अपनी स्कॉलरशिप को बचाने के लिए दिन-रात एक करके उन्होंने इस 3 दिन के कार्य को मात्र 24 घंटे में पूरा करके दिखाया। मॉडल इतना बेहतरीन बना था कि प्रोजेक्ट इंजीनियर को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हुआ और पूरे कॉलेज में अब्दुल कलाम जी का नाम छा गया।
अब्दुल कलाम जी का करियर | Career of APJ Abdul Kalam
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने डिफेंस अनुसंधान (ISRO) और एयर फोर्स (IAF) में नौकरी का फॉर्म भरा। बेवक्त दोनों जगहों से इंटरव्यू का बुलावा आ गया। डिफेंस अनुसंधान के इंटरव्यू के लिए देहरादून बुलाया गया था और एयर फोर्स के इंटरव्यू के लिए दिल्ली।
सबसे पहले देहरादून में डिफेंस अनुसंधान का इंटरव्यू हुआ जो काफी अच्छा था। इसके बाद इन्होंने एयरफोर्स में इंटरव्यू दिया जहां 25 लोगों के बीच इन्हें 9वे स्थान पर रखा गया और केवल 7 लोगों को नौकरी दी गई। तब अब्दुल कलाम बहुत मायूस हुए, कई दिनों तक यह मलाल रहा कि किस तरह उनकी हवा में उड़ने की ख्वाहिश थी जो पूरी ना हो सकी।
किस तरह उन्होंने केवल एयर फोर्स जॉइन करने के लिए एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। उस जमाने में यह पढ़ाई बहुत महंगी थी और उनकी बहन ने अपने गहने बेचकर इनके इंजीनियरिंग का खर्च उठाया था।
कई बार अब्दुल कलाम जी को आत्महत्या का ख्याल भी आया, और दिल पर यह बोझ लिए कि आने वाले समय बहुत सख्त होने वाले हैं वे ऋषिकेश चले गए। वहां उनकी मुलाकात स्वामी शिवानंद से होती है शिवानंद आश्रम में बैठे हुए उन्होंने अपना सारा दुख उन्हें बताया। और समझाया कि उनकी कितनी तीव्र इच्छा थी हवा में उड़ने की और इसके लिए उन्होंने अपने परिवार के साथ कितनी मुसीबतों का सामना किया है। वहां शिवानंद महाराज ने उन्हें बताया कि अगर ख्वाहिश सच्चे दिल से निकली हो, उसमें किसी प्रकार का फरेब ना हो तो पूरी कायनात इच्छा को पूरा जरूर करती है।
वहां से कुछ ज्ञान लेकर और अपने मायूस मन को समेटकर एपीजे अब्दुल कलाम हो वापस रामेश्वरम आ गया। कुछ दिनों में इन्हें में डिफेंस अनुसंधान की तरफ से Senior Scientific Assistant के पद पर घोषित किया गया और एक Appointment Letter थमा दिया गया, महज ₹250 महीने की तनख्वा पर। पहली पोस्टिंग के रूप में 3 साल तक कानपुर में कार्य करने के बाद बेंगलुरु में KTE Department शुरू हुआ जहां इनकी दूसरी पोस्टिंग हुई।
ये वो दौर था जब भारत में खुद के सैटेलाइट को बनाने के बारे में गहन विचार विमर्श किया जा रहा था। जहां देश में लोगों का एक तबका मानता था कि जिस देश में लोगों को सही से दो वक्त की रोटी नहीं मिल रही है उन्हें सेटेलाइट की क्या जरूरत। मगर दूसरे तबके के रूप में सरकार पूरी तरह तैयार थी की अगर भारत को आने वाले समय में दुनिया के सामने अपनी बात रखनी है तो उसे अन्य मुल्कों की बराबरी करनी होगी।
इस वजह से सैटेलाइट लॉन्च के कार्य को समझने हेतु एपीजे अब्दुल कलाम को 1 साल की ट्रेनिंग के लिए अमेरिका भेजा गया। अपने ऑफिस में कार्य को लेकर काफी सजग थे और बेहतरीन तरीके से अपना कार्य करते थे इस वजह से इन्हें NASA भेजा गया। वहां से लौटने के बाद कुछ साइंटिस्ट की टीम अब्दुल कलाम जी के पीछे लगा दी गई और एक सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल तैयार करने का प्रोजेक्ट दिया गया। यह प्रोजेक्ट वक्त से पहले तैयार हो गया और इसका नाम नंदी रखा गया शिवजी के वाहन पर
इसके बाद कई महीनो तक KTE में कुछ खास काम नहीं हुआ, मगर जल्द ही भारत ने अपना पहला उपग्रह बनाने का लक्ष्य पूरा किया। 1980 में भारत का पहला उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करता है जिसका नाम रोहिणी रखा गया। इसके बाद अलग-अलग सैटेलाइट और मिसाइल बनाने का कार्य जोर शोर से शुरू हुआ। अग्नि की सभी परवाज सफल करने के बाद डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भारत के एक जाने-माने वैज्ञानिक बन गए थे। अब्दुल कलाम जी की काबिलियत से खुश होकर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने उन्हें कैबिनेट में जगह दी थी।
कलाम जी ने अपने कार्यकाल के दौरान बहुत सारी मिसाइलों को बनाया जिस वजह से उन्हें मिसाइल मैन ऑफ इंडिया का खिताब दिया गया। इनके द्वारा निर्मित मुख्य मिसाइलों के नाम निम्न प्रकार से हैं – अग्नि, प्रिथ्वी, अकाश, नाग, तृशूल, अकबर, निशाने, धनुष, अगस्ता, बारहमोस, अग्नि-II, अग्नि-III, अग्नि-IV, अग्नि-V, आदि।
Dr. APJ Abdul Kalam Achievements
अब्दुल कलाम जी को उनके कार्य के कारण अलग-अलग किताब और सम्मान से सम्मानित किया गया है। उनमें से कुछ प्रमुख अचीवमेंट की सूची नीचे सूचीबद्ध की गई है –
- अब्दुल कलाम जी की कामयाबी और उस पर उनकी सहजता को देखते हुए 25 जुलाई 2002 को उन्हें भारत का 11वा राष्ट्रपति बनाया गया।
- 2002 से 2007 तक अब्दुल कलाम जी ने भारत का नेतृत्व राष्ट्रपति के रूप में किया था।
- देश के युवाओं के बीच उनकी प्रचलिता को देखते हुए उन्हें 2 बार “एम टी वी यूथ आइकॉन ऑफ द ईयर अवार्ड“ दिया गया था।
- 1981 में उनके कार्य को देखते हुए भारत सरकार की तरफ से पद्म भूषण दिया गया था।
- 1990 में उनके कार्य को देखते हुए भारत सरकार की तरफ से पदम विभूषण दिया गया था।
- 1997 में भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न दिया गया था।
- 1997 में उन्हें राष्ट्रीय एकता पुरस्कार भारतीय सरकार की तरफ से दिया गया था।
- 1998 में उन्हें वीर सावरकर पुरस्कार दिया गया था।
- इसके बाद 2008 में नानयांग टेक्नोलॉजिकल विश्वविद्यालय, सिंगापुर, और 2014 में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम की तरफ से उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि दी गई थी।
- इसके अलावा 2008 से 2014 के बीच उन्हें पूरे विश्व की 17 नामी अलग-अलग यूनिवर्सिटी की तरफ से डॉक्टर की उपाधि दी गई थी।
निष्कर्ष
आज इस लेख में हमने आपको Dr. APJ Abdul Kalam Biography in Hindi के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी है जिसे पढ़ने के बाद आप आसानी से अब्दुल कलाम की जीवनी को समझ पाए होंगे। अगर भारत के इस महान व्यक्ति की जीवनी को पढ़ने के बाद आप अपने मायूसी से भरे जीवन में एक उम्मीद की तरह महसूस कर पा रहे हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें और अपने विचार कमेंट में बताना ना भूले।